Book extract
पहने का फैसला किया और पढ़ने के बाद मेरे दिमाग से अंबेडकरवाद फिर पूरी तरह से निकल गया। मुझे समझ आ गया कि वामपंथ की ही अंबेडकरवाद भी अंग्रेजों के भारतीय ताने-बाने को नष्ट करने का परयों का हिस्सा मात्र है। उसमें वैचारिकता और भारतीय समाज के भले लिए कुछ भी नहीं है। इस षड्यंत्र के तहत उस संस्कृति को बांटने का किया गया, जिसकी मूल अवधारणा ही वसुधैव कुटुम्बकम रही है। पाया कि मौजूदा समय में इस जातिगत भेदभाव व विभाजन के लिए जो सबसे बड़ा कारण है, वह जातिगत आरक्षण है। इसने समाज में की एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी है, जिससे इतर जाकर कोई कुछ वने को तैयार ही नहीं है।
इसे लेकर मैंने मौजूदा जातिगत आरक्षण व्यवस्था के विरुद्ध एक मुहिम एक को, जिसे लोगों का भरपूर प्यार भी मिला। तमाम वर्गों के लोगों ने इस मुहिम को सराहा। इस मुहिम के बाद तो सामाजिक विभाजन का कारण बन से मुद्दों के खिलाफ संघर्ष का एक सिलसिला ही बन गया, जो भारतीय समाज के विभाजन का कारण बन रहे थे।
मुझे खुशी है कि बीते एक दशक में हम हिंदू समाज के एक बड़े वर्ग का कांग्रेस सरकारों और उनके सहयोगी वामपंथी साहित्यकारों के घडयंत्रों में अवगत कराने में कामयाब रहे हैं, जिसके सकारात्मक नतीजे भी अब देखने को मिलने लगे हैं।
बीते दिनों मेरे पत्रकार मित्र संदीप त्यागी ने इस तमाम मुद्दों को एक पुस्तक के तौर पर संकलित करने की बात मेरे सामने रखी। सोच-विचार के बाद मुझे भी लगा कि मेरे जिन साथियों ने मेरे साथ संघर्ष किया है, उन तमाम मुद्दों का एक पुस्तक के रूप में संकलन उन्हें नई ऊर्जा देगा तथा अपनी सामाजिक विरासत से कट चुके और जातिगत विभाजन के विद्वेष में जा रहे लोगों को भी एक नई दृष्टि से सोचने की दिशा देगा। इस पुस्तक क प्रकाशन पर में अपने पत्रकार मित्र संदीप त्यागी का आभार व्यक्त करता हूँ तथा उन्हें बधाई देता है कि वह जनजागरण के इस मिशन को आम जनमानस तक पहुंचाने के निमित्त बने। मैं अपने सभी साथियों श्री तुषार एन
Shant Prakash Jatav
"जातीय अस्पृश्यता वैदिक नहीं औपनिवेशिक षड्यंत्र"
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डॉक्टर अंबेडकर संविधान निर्माता नहीं थे
बामसेफ और वामपंथी लेखक समाज को गुमराह करने के लिए उन्हें संविधान निर्माता बताते हैं
भारतीय संविधान सभा में 389 सदस्य थे
9 दिसम्बर 1946 को प्रथम बैठक हुई और 26 नवम्बर 1949 को संविधान तैयार हुआ।
जिसमें 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे https://t.co/tm42oy4UJa
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"#जातीय_अस्पृश्यता_वैदिक_नहीं_औपनिवेशिक_षड्यंत्र" पुस्तक को लेकर युवाओं में कोतुहल समाज का गौरव और स्वाभिमान की राह दिखाने वाली पुस्तक बता रहे हैं युवा https://t.co/pX7iHsGpe9
https://twitter.com/shantprakash/status/1330593765828952065?s=19
पुस्तक समीक्षा
संदीप त्यागी जी द्वारा लिखित पुस्तक
'जातीय अस्पृश्यता वैदिक नहीं औपनिवेशिक षड़यंत्र' शान्त प्रकाश जी द्वारा चलाए जा रहे जमीनी आंदोलनों को रेखांकित करती है.
हिन्दू व भारत विरोधी शक्तियों के विभाजनकारी विमर्श को ध्वस्त करने का यह प्रयास सराहनीय है.
ए के मिश्रा https://t.co/xygoocARvb
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"जातीय अस्पर्शयता वैदिक नहीं औपनिवेशिक षड्यंत्र"
मुल्य ₹500 डाकव्य सहित
पुस्तक मंगाने के लिए paytm करें 9871177827 इसी नंबर पर अपना डाक पता पिन कोड नंबर सहित देने का कष्ट करें पुस्तक आपको डाक से भेज दी जाएगी
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इस पुस्तक का एक एक शब्द मैंने पढ़ा अनुसूचित जातियों के नाम पर राजनीति करने वाले तमाम नेता मैंने देखे मगर शांत प्रकाश जाटव ने जो काम समाज के लिए किया है वह वाकई समाज के सम्मान के लिए बेमिसाल है
नाथूराम उम्र 81 वर्ष
वरिष्ठ प्रबंधक (सेवानिवृत्त) टेलीग्राफ विभाग https://t.co/P9Ce9dcjyg
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